आम सर्दी-जुकाम से शुरू होने वाली साइनस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव

आम सर्दी-जुकाम से शुरू होने वाली साइनस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव

रोहित पाल  

आज कल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाते हैं। जिस कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लोग छोटी मोटी बीमारियों पर ध्यान नहीं देते हैं जो कि बाद में बड़ा रूप धारण कर लेती हैं। जैसे की साइनस की बीमारी जिसे 'साइनोसाइटिस' कहा जाता है। साइनसाइटिस आम सर्दी-जुकाम के रूप में शुरू होता है, और फिर एक बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के रूप में पूरी तरह से विकसित हो जाता है। साइनस हवा से भरी छोटी-छोटी खोखली गुहा रूपी संरचनाएं हैं जो नाक के आसपास, गाल व माथे की हड्डी के पीछे तथा आँखों के बीच के भाग में पैदा होने लगती है। जैसे दोनो तरफ के चेहरे की हड्डी में मैक्सिलेरी साइनस, नाक के ऊपर माथे में फ्रंटल साइनस, आँखो के पास एथमोइड साइनस तथा पिछले हिस्से में बीचों-बीच दिमाग़ से सटा स्फेनॉइड साइनस।

साइनसाइटिस से साइनस में सूजन आ जाती है और यह किसी संक्रमण के कारण होती है। आप सिर दर्द या अपने चेहरे में दर्द और नाक बंद होने का अनुभव कर सकते हैं। कई बार इसमें नाक से हर पदार्थ बहने लगता है। दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार के साइनसाइटिस से प्रभावित है यह बीमारी तीन से आठ सप्ताह के मध्य रहने पर तीव्र व आठ सप्ताह से अधिक रहने पर क्रॉनिक साइनसाइटिस कहलाती है। हर साल प्रत्येक दस में तीन व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं।

साइनस चार प्रकार के होते हैं:

1- तीव्र साइनस संक्रमण जो कि 30 दिन से कम समय तक रहता है।

2-कम तीव्र साइनस जो कि 1 महीने से अधिक और 3 महीने तक रहता है।

3- क्रॉनिक साइनस जो कि 3 महीने से अधिक रहता है।

4- रीकरेंट साइनसाइटिस जो कि साल में कई बार यानि बार-बार होता है।

साइनस के लक्षण:

  • नाक बहना या पोस्टनेजल ड्रिप (अत्यधिक बलगम बनने के कारण उसके नाक की नाली से गले में बाह जाना।)
  • नाक बंद होना जिसकी वजह से नाक से सांस लेने में परेशानी।
  • आंख, नाक, गाल और माथे के आसपास सूजन और दर्द महसूस होना।
  • गंध और स्वाद की परख करने की क्षमता कम होना।

अन्य लक्षण:

  • कान दर्द होना
  • ऊपरी जबड़े और दांतों में दर्द महसूस होना
  • रात में खांसी अधिक बढ़ जाना
  • गले में खराश होना
  • मुँह से बदबू आना
  • थकान या चिड़चिड़ापन महसूस होना
  • जी मिचलाना

साइनस के कारण:

जुकाम- साइनस का सबसे सामान्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक निरंतर बहती है या फिर बंद हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है। जुकाम एक प्रकार का संक्रामक होता है, जो किसी और के माध्यम से भी आपको चपेट में ले सकता है। जिन लोगों को लगातार जुकाम होता है, उन्हें साइनस होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।

प्रदूषण- साइनस की समस्या प्रदूषण के कारण भी हो सकती है। ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या बढ़ सकती है। ये हानिकारक कण सीधे हमारी श्वास नली पर प्रहार करते हैं। इससे धीरे-धीरे जुकाम, नाक का बहना व दर्द आदि समस्या होती है। इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

एलर्जी- देखा गया है कि बहुत से लोगों को नाक संबंधी एलर्जी की शिकायत रहती है। बाहर की दूषित वायु के संपर्क में आते ही यह समस्या बढ़ जाती है। नाक संबंधी एलर्जी मौसमी भी हो सकती है। सर्दियों के दौरान ऐसी समस्या ज्यादा देखी गई है। सर्दियों में नाक का बहना, नाम की नलियां बंद हो जाना, गले में दर्द, आवाज में बदलाव, सिरदर्द आदि आम हैं, लेकिन आप इन्हें हल्के में न लें। साइनस इन्हीं लक्षणों के साथ दस्तक देता है।

नाक की हड्डी बढ़ना- नाक की हड्डी बढ़ने के कारण भी साइनस की समस्या हो जाती है। दरअसल, बचपन या किशोरावस्था में नाक पर चोट लगने या दबने के कारण नाक की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है, जिससे नाक का आकार टेढ़ा दिखाई देता है। हड्डी का यह झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करता है, जिससे साइनस की समस्या हो सकती है। कोई भी कारण, जो श्वास छिद्रों में अवरोध पैदा करते हैं, उनसे साइनस की समस्या पैदा हो सकती है।

अस्थमा- अस्थमा सांस संबंधी गंभीर बीमारी है, जो फेफड़ों व श्वास नलियों को प्रभावित करती है। अस्थमा से ग्रसित मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता, जिसके लिए उसे स्पेसर की आवश्यकता पड़ती है। इन हालातों में मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं। अगर अस्थमा के दौरान साइनस के लक्षण दिखाई दें, तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

भोजन- खानपान में बरती गई लापरवाही भी साइनस का कारण बन सकती है। भोजन की अनियंत्रित मात्रा व पोष्टिक तत्वों की कमी से पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जो आगे चलकर साइनस की समस्या की जड़ बन सकता है। इसलिए जो खाएं, देख-समझ कर ही खाएं।

साइनस से बचाव:

जांच- वैसे तो साइनस की समस्या कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन समय रहते इसका इलाज नही कराया गया तो मरीज को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर के अनुसार मरीज को यह बीमारी है या नहीं, यह जानने के लिए सि‍टी स्कैन या एमआरआई के अलावा साइनस के अन्य कारणों को लेकर खून की जांच भी की जाती है, जिससे हमें बीमारी होने का ठोस कारण पता चल सके।

साइनस से बचने के घरेलु उपाय-

पर्याप्त जल- शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर 3-4 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी का संचार शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है।

खान-पान- असंयमित भोजन न सिर्फ साइनस, बल्कि संपूर्ण शरीर की समस्याओं की जड़ बन सकता है। इसलिए, खानपान और इससे जुड़ी बातों को गंभीरता से लें। ध्यान रहे, साफ और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आपके शरीर के सच्चे मित्र होते हैं।

वेंटिलेशन- शयन कक्ष या फिर जिस कमरे में ज्यादा समय बिताते हो, वहां खिड़कियां जरूरी होनी चाहिएं, ताकि बाहर की ताजा हवा आपके शरीर तक पहुंच सके। स्वच्छ हवा के अभाव में आप साइनस की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं। अगर आपके कमरे में एसी लगा हुआ है, तो आप बीच-बीच में उसे बंद कर खिड़कियों को जरूर खोलें। ज्यादा समय एसी में रहने की वजह से भी सांस संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है।

आसपास की जगहों को साफ रखें- अपने कमरे और आसपास की जगहों को साफ रखें, ताकि कोई भी विषैला तत्व आप पर प्रहार न कर सके। आपकी आसपास की जगहें जितनी साफ होंगी, शारीरिक समस्याओं की संख्या उतनी तेजी से घटती चली जाएगी।

आद्रता- आर्द्रता भी काफी हद तक आपके साइनस को प्रभावित करती है। आर्द्रता का गलत प्रभाव श्वसन संक्रमण और एलर्जी को बढ़ा सकता है। कमरे में अत्यधिक या कम आर्द्रता के कारण समस्या खड़ी हो सकती हैं। इसलिए, कमरे में इसका संतुलन (40 से 60 प्रतिशत) बनाकर रखें। आर्द्रता को आप आर्द्रतामापी यंत्र के द्वारा नाप सकते हैं। यह यंत्र बाजार में आसानी से मिल जाएगा। अंग्रेजी में इसे इंडोर हाइड्रोमीटर कहते हैं।

जागरूकता- आप किसी भी समस्या का हल तभी निकाल सकते हैं, जब आपको उससे संबंधित जानकारी हो। साइनस की समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसलिए, बताए गए साइनस के लक्षणों को ठीक से समझ लें, ताकि मुसीबत के समय आप अपना इलाज स्वयं कर सकें।

 

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